Friday, October 18, 2024

मेरा प्रिय खेल हिंदी निबंध



मेरा प्रिय खेल 

🏷️ बैडमिंटन

🏷️ मुक्केबाजी 

🏷️ कुश्ती 


बैडमिंटन 

बैडमिंटन आम तौर पर चारदीवारी के अंदर खेला जाता है। इस खेल को नेट के दोनों तरफ एक-एक या दो- दो खिलाड़ी खेलते हैं। यह नेट दोनों छोर से 5 फीट और एक इंच ऊंचा तथा बीच में 5 फीट ऊंचा होता है। इसके कोर्ट की लंबाई 44 फीट व चौड़ाई 20 फीट होती है। खेल-प्रांगण या मैदान समतल होता है।


बैडमिंटन खेल का नामकरण ग्लूसेस्टरशायर में बैडमिंटन में ब्यूफोर्ड के ड्यूक के नाम पर हुआ था। ऐसी मान्यता है कि सन् 1870 में इस खेल का आरंभ हुआ। प्रारंभ में यह खेल चिड़िया (शटलकॉक) और रेकेट से बच्चे खेला करते थे। इस खेल को सैन्य अधिकारी इंग्लैंड से भारत लाए थे। तदंतर इस खेल के नियम बनाए गए और 1893 में बैडमिंटन एसोसिएशन की स्थापना भी की गई।


जब खेल प्रतियोगिता होती है, तो यह खेल तीन दफा खेला जाता है और दो बार जीतने वाली टीम को विजेता माना जाता हैं। मैच आरंभ होने से पूर्व सिक्का उछाला जाता है। इसके बाद तय होता है कि पहले कौन-सी टीम खेल आरम्भ करेगी। इस खेल में निम्नलिखित गलती होने पर विपक्षी टीम को एक अंक प्रदान किया जाता है:


क. यदि शटल (चिड़िया) खेल-प्रांगण की निर्धारित सीमा से बाहर गिरे।


ख. यदि शटल को कोर्ट की जमीन से मारा जाए या शटल कोई सीमा से बाहर चली जाए या नेट के ऊपर से न जाए।


ग. यदि शटल रैकेट में ही अटक जाए या एक ही खिलाड़ी या उसका सहयोगी खिलाड़ी दो दफा प्रहार कर दे।


घ. यदि खिलाड़ी का नेट से स्पर्श हो जाए या वह जान-बूझकर खेल में बाधा डाले अथवा प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी को खेलने से रोके।


यह खेल पुरुषों के अलावा महिलाएं भी खेलती हैं। यह एकल व युगल आधार पर खेला जाता है। युगल पूरे खेल-मैदान में खेला जाता है जबकि 'एकल' 3 फीट (91 से.मी.) कम में खेला जाता है। इस खेल के लिए शटल अक्सर कलहंस के 16 पंखों या नायलोन से बनाई जाती है। इस खेल में रैकेट की चौड़ाई 9 इंच और लंबाई 27 इंच होती है। इस खेल में 'ड्राइव' और 'फ्लिक' दो सर्विस होती हैं। ये इस खेल के नियम हैं। इन दोनों सर्विस का पालन करते हुए ही खेल खेला जाता है।


साइना नेहवाल व प्रकाश पादुकोण जैसे खिलाड़ियों ने हमारे देश का नाम इस खेल में ऊंचा किया है। इस कारण सभी युवक-युवतियां भी इस खेल की ओर आकृष्ट हो रहे हैं। 



मुक्केबाजी


यह भी शक्ति व फुर्ती का खेल है। इसमें वजन के आधार पर खिलाड़ियों के अलग वर्ग तैयार किए जाते हैं। यह काफी खतरनाक खेल है। इसमें खिलाड़ी की मृत्यु तक भी हो जाती है। दो मुक्केबाज हाथों में दस्ताने पहनकर जब अखाड़े में प्रहार करते हैं, उसे बॉक्सिंग या मुक्केबाजी कहते हैं। यह एक अंतर्राष्ट्रीय खेल है। यह खेल दुनिया भर में खेला जाता है। इस खेल में दस्तानों के साथ सिरस्त्राण भी पहना जाता है।


प्राचीन समय में रोम में यह खेल लोहे के दस्ताने पहनकर खेला जाता था।*फिर मुक्केबाजी के दौरान प्रतिद्वंद्वी की कनपटी पर प्रहार होता था तो उसकी मृत्यु तक भी हो जाती थी, किंतु चौथी शताब्दी में यह खूनी खेल पूरी तरह से बंद हो गया। सुरक्षा के अनुसार नए नियम भी बनाए गए।


बॉक्सिंग खेल का रिंग न्यूनतम 3.66 मी. वर्ग और अधिकतम 6.10 मी. वर्ग का होता है। इसके चारों ओर रस्सी बंधी होती है जो खिलाड़ी की सुरक्षा के लिए होती है। बॉक्सिंग बहुत ही साधारण खेल है। जो मुक्केबाज कमर से ऊपर जितने अधिक मुक्के मारता है-सीधे मुंह में या बगल में-वह उतने ही अधिक अंक अर्जित करता है।


सभी मुक्केबाज रेफरी के निर्देशों की पालना करते हैं। रेफरी को पूर्ण अधिकार होता है कि यदि उसे अनुभव हो जाए कि मुक्केबाज खेलने योग्य नहीं है, तो वह उस स्पर्धा को रद्द कर सकता है अथवा रोक सकता है। जब स्पर्धा समाप्त हो जाती है, तो रेफरी विजेता का हाथ पकड़कर ऊपर उठा देता है। खेल के हर एक दौर में कुछ निश्चित अंक होते हैं जो उस राउंड के विजेता को दिए जाते हैं। अमेच्योर बॉक्सिंग के दौर में विजेता को 20 अंक मिलते हैं और उसके प्रतिद्वंद्वी को कुछ ही अंक मिलते हैं। जब दोनों मुक्केबाज समान खिलाड़ी होते हैं तो दोनों को 20-20 अंक मिलते हैं। प्रोफेशनल बॉक्सिंग के भी ऐसे ही नियम होते हैं। यदि दोनों खिलाड़ियों के अंक समान होते है, तो मैच बराबरी पर समाप्त होता है।


एक मुक्केबाज को तत्काल प्रतिक्रिया, तीव्र गति और अपने प्रतिद्वंद्वी पर ध्यान केंद्रीत करने की आवश्यकता होती है। पंच, जैब, हल्का किंतु तेज पंच, हूक और अपर कट आदि मुक्केबाज के प्रमुख प्रहार कहे जाते हैं।


मुक्केबाज में भारत भी आज अग्रणी है। भारत ने बॉक्सिंग में (सन् 2008के ओलंपिक में) कांस्य पदक जीता था। भारत के खिलाड़ी, यदि इसी तरह धैर्य एवं उत्साह से खेलते रहे, तो निश्चय ही वे अगले ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक अवश्य जीतेंगे। भारत में अभी कई अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मुक्केबाज हैं जो विभिन्न प्रतियोगिताओं में जीत भी रहे हैं। 2014 के एशियाई खेलों में मेरी कॉम ने स्वर्ण पदक प्राप्त किया है।


पूर्व में बॉक्सिंग अवश्य ही खतरनाक खेल रहा है, किंतु आज यह खेल अधिक सुरक्षित और सबका प्रिय खेल बन गया है। लोग इस खेल में रुचि लेने लगे हैं। तथापि इसे उग्र व जोश से भरे खिलाड़ी ही खेलते हैं।

मेरा प्रिय खेल 

कुश्ती


शारीरिक दमखम के साथ कुश्ती को जोड़ कर देखा जाता है ? इसका आरम्भ प्राचीन काल में आत्मरक्षा एवं आक्रमण करने के लिए किया गया था। किंतु सभ्य समाज में अब इस खेल ने कुश्ती का रूप ले लिया जो काफी लोकप्रिय भी हो गया है।


ऐसी मान्यता है कि 3400 ईसा पूर्व में मिस्त्र के लोग कुश्ती खेला करते थे, जो कि बेनी-हसन के भित्ति चित्रों से भी प्रतीत होता है। 900 ईसा पूर्व में कुश्ती लड़ने के पहली बार नियम निर्मित हुए। फिर 19वीं सदी के अंत में, कुश्ती प्रतियोगिता में दो तरह की कुश्ती होने लगीं- एक ग्रेसियो-रोमन, जो 1896 के ओलंपिक खेलों में भी थी और दूसरी-फ्रीस्टाइल, जिसको 1904 में ओलंपिक में शामिल किया गया।


कुश्ती में हर एक पारी 9 मिनट की होती है जिसमें तीन दौर होते हैं और प्रत्येक दौर 3 मिनट का होता है। कुश्ती में दो पहलवान और एक रेफरी होता है, जो दोनों पहलवानों को नियमों के अनुसार कुश्ती लड़वाता है। ऐसी परंपरा है कि अखाड़े में एक पहलवान लाल और दूसरा नीली ड्रेस पहनता है। ओलंपिक और विश्व स्पर्धाओं में कुश्ती का अखाड़ा 8 मीटर लंबा व 8 मीटर चौड़ा तथा अंतर्राष्ट्रीय मैचों के लिए अखाड़ा 6 मीटर लंबा तथा 6 मीटर चौड़ा रखा जाता है। कुश्ती लड़ते समय जब कोई पहलवान पहली बार त्रुटि करता है,तो रेफरी पहले उसे चेतावनी देकर छोड़ देता है, किंतु दूसरी त्रुटि पर रेफरी उसे तत्काल रोक देता है और उसकी कलाई थाम लेता है। फिर जज प्रतिद्वंद्वी पहलवान को एक अंक देता है। तीसरी दफा त्रुटि करने पर प्रतिद्वंद्वी को एक अंक और मिल जाता है, किंतु चौथी बार त्रुटि करने पर उस पहलवान को हारा हुआ घोषित कर दिया जाता है।


भारत में फ्रीस्टाइल कुश्ती अत्यंत लोकप्रिय रही है। भारत के विश्व चैंपियन पहलवान दारा सिंह फ्रीस्टाइल कुश्ती ही लड़ते थे। यह फ्रीस्टाइल कुश्ती लंकाशायर की देन है। इस कुश्ती में सिर के बाल, कान, गुप्तांग व प्रतिद्वंद्वी के वस्त्र पकड़ने की अनुमति नहीं है। रेफरी हाथ उठाकर उंगली द्वारा एक, दो या तीन अंक देने का इशारा करता है जिसे जज स्कोर शीट पर अंकित कर लेता है और अंक के अनुसार लाल या नीले रंग की पट्टी उठा देता है। यदि वह रेफरी के निर्णय से असहमत होता है तो सफेद पट्टी उठा देता है तब मैच चेयरमैन (अध्यक्ष) अंक देने में अपना अंतिम निर्णय देता है।


कुश्ती एक ऐसा खेल है, जो पूरे विश्व में खेला जाता है भारत में तो यह खेल प्रायः खेला ही जाता है। भारत के पहलवानों ने कुश्ती प्रतियोगिता में ओलंपिक में भी अपनी धाक जमाते हुए कई पदक हासिल किए हैं। सन् 2008 में कुश्ती में मिले कांस्य पदक ने यह सिद्ध कर दिया है कि भारत इस खेल में पहले की बजाय और अधिक प्रगति कर रहा है। सुशील कुमार ने इस खेल में भारत का नाम काफी उज्ज्वल किया है।

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