मेरा प्रिय खेल कुश्ती
शारीरिक दमखम के साथ कुश्ती को जोड़ कर देखा जाता है ? इसका आरम्भ प्राचीन काल में आत्मरक्षा एवं आक्रमण करने के लिए किया गया था। किंतु सभ्य समाज में अब इस खेल ने कुश्ती का रूप ले लिया जो काफी लोकप्रिय भी हो गया है।
ऐसी मान्यता है कि 3400 ईसा पूर्व में मिस्त्र के लोग कुश्ती खेला करते थे, जो कि बेनी-हसन के भित्ति चित्रों से भी प्रतीत होता है। 900 ईसा पूर्व में कुश्ती लड़ने के पहली बार नियम निर्मित हुए। फिर 19वीं सदी के अंत में, कुश्ती प्रतियोगिता में दो तरह की कुश्ती होने लगीं- एक ग्रेसियो-रोमन, जो 1896 के ओलंपिक खेलों में भी थी और दूसरी-फ्रीस्टाइल, जिसको 1904 में ओलंपिक में शामिल किया गया।
कुश्ती में हर एक पारी 9 मिनट की होती है जिसमें तीन दौर होते हैं और प्रत्येक दौर 3 मिनट का होता है। कुश्ती में दो पहलवान और एक रेफरी होता है, जो दोनों पहलवानों को नियमों के अनुसार कुश्ती लड़वाता है। ऐसी परंपरा है कि अखाड़े में एक पहलवान लाल और दूसरा नीली ड्रेस पहनता है। ओलंपिक और विश्व स्पर्धाओं में कुश्ती का अखाड़ा 8 मीटर लंबा व 8 मीटर चौड़ा तथा अंतर्राष्ट्रीय मैचों के लिए अखाड़ा 6 मीटर लंबा तथा 6 मीटर चौड़ा रखा जाता है। कुश्ती लड़ते समय जब कोई पहलवान पहली बार त्रुटि करता है,तो रेफरी पहले उसे चेतावनी देकर छोड़ देता है, किंतु दूसरी त्रुटि पर रेफरी उसे तत्काल रोक देता है और उसकी कलाई थाम लेता है। फिर जज प्रतिद्वंद्वी पहलवान को एक अंक देता है। तीसरी दफा त्रुटि करने पर प्रतिद्वंद्वी को एक अंक और मिल जाता है, किंतु चौथी बार त्रुटि करने पर उस पहलवान को हारा हुआ घोषित कर दिया जाता है।
भारत में फ्रीस्टाइल कुश्ती अत्यंत लोकप्रिय रही है। भारत के विश्व चैंपियन पहलवान दारा सिंह फ्रीस्टाइल कुश्ती ही लड़ते थे। यह फ्रीस्टाइल कुश्ती लंकाशायर की देन है। इस कुश्ती में सिर के बाल, कान, गुप्तांग व प्रतिद्वंद्वी के वस्त्र पकड़ने की अनुमति नहीं है। रेफरी हाथ उठाकर उंगली द्वारा एक, दो या तीन अंक देने का इशारा करता है जिसे जज स्कोर शीट पर अंकित कर लेता है और अंक के अनुसार लाल या नीले रंग की पट्टी उठा देता है। यदि वह रेफरी के निर्णय से असहमत होता है तो सफेद पट्टी उठा देता है तब मैच चेयरमैन (अध्यक्ष) अंक देने में अपना अंतिम निर्णय देता है।
कुश्ती एक ऐसा खेल है, जो पूरे विश्व में खेला जाता है भारत में तो यह खेल प्रायः खेला ही जाता है। भारत के पहलवानों ने कुश्ती प्रतियोगिता में ओलंपिक में भी अपनी धाक जमाते हुए कई पदक हासिल किए हैं। सन् 2008 में कुश्ती में मिले कांस्य पदक ने यह सिद्ध कर दिया है कि भारत इस खेल में पहले की बजाय और अधिक प्रगति कर रहा है। सुशील कुमार ने इस खेल में भारत का नाम काफी उज्ज्वल किया है।
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