मेरा प्रिय त्योहार :
दीपावली
हिंदू त्योहारों में दीपावली का महत्व और जनप्रियता सर्वाधिक है। कार्तिक माह की अमावस्या के दिन आने वाला यह पर्व अनगिनत मोमबत्तियों, रंगीन बल्बों और दीपमालाओं से अमावस्या के घोर अंधेरे को शरद् पूर्णिमा में बदल देता है।इनके प्रकाश के समक्ष आकाश के असंख्य तारे भी फीके पड़ जाते हैं। दीपों के इस पर्व को किसी न किसी रूप में देश के लगभग सभी लोग मनाते हैं। या के राज्यों के लोग इस त्योहार का आनंद प्राप्त करते हैं। इस त्योहार के साथ कई पौराणिक और दंतकथाएं कही जाती हैं। माना जाता है कि धर्मराज युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ की समाप्ति भी इसी दिन हुई थी। ऐसी भी मान्यता है कि श्री राम 14 वर्ष के वनवास के पश्चात् सीताजी व लक्ष्मण के साथ इसी दिन अयोध्या लौटे थे। उनके स्वागत हेतु अयोध्यावासियों ने अयोध्या को विभिन्न प्रकार से सजाया व रोशन किया था। घरों में मिठाइयां बंटी थीं। तभी से यह त्योहार हर्ष, उल्लास व विजय का पर्याय बन गया। क्योंकि इसकी पृष्ठभूमि में श्री राम की लंका विजय की ओजस्वी कथा भी जुड़ी है।
पौराणिक कथानक के अनुसार, सागर मंथन होने पर आज ही के दिन देवी लक्ष्मी जी का आविर्भाव (जन्म) हुआ था। अतः इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा भी की जाती है। लोग पूरी रात लक्ष्मी के आगमन की आशा में घरों के द्वार खुले रखते हैं। व्यापारी वर्ग इस दिन को अत्यंत पवित्र मानते हैं और अपने गत वर्ष का हिसाब-किताब साफ करके नए बही-खाते सृजित करने का कार्य करते हैं। आर्यसमाज के प्रवर्तक स्वामी दयानंद सरस्वती का निर्वाण भी इसी दिन हुआ था। अतः आर्य प्रवर्तक इस त्योहार को बहुत पवित्र मानते हैं। इसी तरह जैनियों के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी का निर्वाण भी इसी दिन को हुआ था। अतः सारा जैन समाज दीपावली के इस त्योहार को संपूर्ण श्रद्धा से मनाता है।
दीपावली से कुछ दिन पूर्व घरों, दुकानों व कार्यालयों में नए सिरे से रंग- रोगन व साफ-सफाई की जाती है। इससे मच्छरों व गंदगी का नाश भी हो जाता है और प्रत्येक स्थान चमकदार नजर आने लगता है। बाजार भी दमकने लगते हैं। इस तरह दीपावली का त्योहार स्वच्छता का प्रतीक बन गया है। दीपावली पर शाम के समय संपूर्ण नगर दीपकों के प्रकाश से जगमग करने लगता है। मिठाइयां, खिलौनों व पटाखों की दुकानों पर भीड़ उमड़ आती है। इस पर्व पर लोग शुभकामनाओं के साथ अपने मित्रों व रिश्तेदारों के यहां मिष्ठान आदि भिजवाते हैं और आपसी वैमनस्य भूलकर जीवन को संपन्न बनाने का प्रयत्न करते हैं।
इस तरह देश व मानव जाति की समृद्धि का यह त्योहार बहुत उत्साहवर्धकव महत्त्वपूर्ण है। अब यह त्योहार सिर्फ भारत में ही नहीं, विदेशों में भी मनाया जाता है। हिंदू समाज की संस्कृति में दीपावली को सर्वाधिक महत्व प्रदान किया गया है। इस पर्व का प्रत्येक हिंदू अधीरता से प्रतीक्षा करता है।
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