Thursday, October 3, 2024

हिंदी कहावतें / लोकोक्तियां और उनका अर्थ


  



हिंदी कहावतें / लोकोक्तियां और उनका अर्थ 

अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता -  केला आदमी इतना बड़ा काम किस तरह करें?

 अढ़ाई हाथ की ककड़ी नौ हाथ का बीज  - बच्चा शरारत  में माता-पिता से भी बढ़ गया

 अतिशय भक्ति चोर  के लक्षण- ढोंगी आदमी चापलूस हुआ करता है

अधजल गगरी छलकत जाय - अज्ञानी ही बढ़ चढ़कर ज्ञान की बातें करता है

अंडा सिखाए बच्चे को कि चीं -चीं मत कर - छोटे का बड़े को नसीहत देना

अंधा क्या चाहे दोनों आँखे - जरूर वाले की जरूरत पूरी होती हो तो और उसे चाहिए ही क्या?

अंधी पीसे, कुत्ता खाय - कमाए कोई उड़ाए कोई और 

अंधा बाँटे रेवड़ी, फिरी फिरी अपनों को दे - अपनों ही का बराबर फायदा पहुंचाना

अँधेर  नगरी चौपट राजा, टके से भाजी, टके सेर खाजा - अत्याचारी और मूर्ख राजा के लिए प्रयुक्त

 अंधों के आगे रोना, अपना दीदा खोना- नासमझ को समझने का व्यर्थ प्रयास

 अंधे के हाथ बटेर लगी- अपात्र को कोई बहुमूल्य चीज मिल जाना

 अंधों में काना राजा - मूर्खों के बीच कम पढ़ा लिखा सदैव आदर पाता है 

 अपनी ढाई चावल की खिचड़ी अलग पकाना- सबसे अलग होकर कोई काम करना

 अपने-अपनी डफली अपना अपना राग- एकमत होकर काम न करना 

 अपनी करनी पार उतरनी - अपने ही कर्मों का फल पाना

 अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है- अपनी जगह डरपोक भी बहादुर होता है

 अपनी दही को खट्टा कौन कहता है?- अपनी वस्तु किसे नहीं अच्छी लगती?

 अपने मुँह  मियाँ मिट्ठू बनना - अपने मुंह अपनी ही बढाई करना

 अब पछताए हो तो क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत- पहले से सावधानी नहीं बढ़ती तो काम बिगड़ जाने के बाद पछताना व्यर्थ है

 अक्ल बड़ी या भैंस- अधिक नुकसान की चिंता न कर कम नुकसान पर दुखी होना

 अक्लमंद को इशारा बेवकूफ को तमाचा - बुद्धिमान तो इशारे से ही समझ कर काम करते हैं किंतु मूर्ख तमाचे खाकर 

 अस्सी की आमद चौरासी का खर्च - आमद से ज्यादा खर्च 

 आँसुओं से प्यास नहीं बुझती - रोने से दिल का अरमान पूरा नहीं होता

 आए थे हरिभजन को ओटन लगे कपास - करना था क्या और करने लगे क्या?

 आग लगते झोपड़ा जो निकसे लाभ - जहां सब कुछ नष्ट हो रहा हो वहां जो थोड़ा बच जाए वही लाभ समझना चाहिए

 आगे कुआँ पीछे खाई - कार्य करने न करने दोनों में खराबी 

 आप भला जो जग भला- अच्छे के साथ दुनिया भी अच्छा ही बर्ताव करती है

 आम के आम गुठलियों के दाम - दुहरा लाभ 

 ईश्वर की माया कहीं धूप कहीं छाया- भाग्य की विचित्रता 

 उल्टा चोर कोतवाल को डांटे - एक तो अपराध किया, वह माना नहीं उल्टे दूसरे को धमकता है

 उल्टे बांस पहाड़ चढ़ना उल्टे बांस बरेली को- उल्टा काम करना

 ऊँची  दुकान फीका पकवान - प्रसिद्ध तो ज्यादा परंतु योग्यता कुछ नहीं

ऊँट के मुंह में जीरा  - बहुत थोड़ा

ऊँट चढ़े पर  पर कुत्ता काटे - भाग्य का खोटापन हर वक्त सताता है 

ऊँट देखिए किस करवट बैठे - देखें परिणाम क्या होता है

 उधो का लेना ना माधो का देना - बिल्कुल निश्चिंत 

 उखल में दिया सर तो मुसलों का क्या डर - जब एक मुसीबत खुद खरीद ली है या एक मुश्किल काम में हाथ डाल दिया है तो अब रास्ते की तकलीफों से क्या डरना?

 एक अनार सौ बीमार- वस्तु कम मांगे ज्यादा

 एक तीर दो निशाने- एक ही उपाय से दो कामों का होना

 एक तो करेला कड़वा दूसरे नीम चढ़ा  - एक तो कोई व्यक्ति पहले से ही बुरा था अब उसे बुरी संगति भी मिल गई

 एक तो चोरी दूसरे सीना जोरी - एक तो अपराध किया दूसरे जबान लढाता है 

 एक पंथ दो काज - एक ही उपाय से दो काम 

 ओछे की प्रीत बालू की भीत - छोटे दिल वाले की दोस्ती रेट की दीवार की तरह कमजोर होती है

 एक हाथ से ताली नहीं बजती- दोनों पक्षों का अपराध होना

 ओस चाटे प्यास नहीं बुझती - थोड़ी चीज से ज्यादा चाहने वाले को तसल्ली नहीं मिलती 

 कभी नाव पर गाड़ी कभी गाड़ी पर ना - समय किसी का एक सा नहीं रहता

 कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली - कहां तुम्हारा घटिया दर्जा और कहां इतना बड़ा आदमी जिसकी बड़ाई कर रहे हो

 कहीं का ईंट कहीं का रोड़ा, भानुमति ने कुनवा जोड़ा - इधर-उधर की अनमोल बातें 

 कहीं बूढ़े तोता भी पढ़े हैं - पुरानी उम्र के आदमी नए काम सीख नहीं पाते 

 काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती - धोखे का व्यापार बार-बार नहीं 

 काबुल में क्या गधे नहीं होते?- अच्छे बुरे सभी जगह होते हैं

 का वर्षा जब कृषि सुखाने समय चूँकि पुनि का पछिताने-  समय निकल जाने पर पछताना बेकार है

 कुत्ते की दुम फिर भी टेढ़ी की टेढ़ी - को संस्कारी व्यक्ति पर सिख का प्रभाव नहीं पड़ता

 कोयलों की दलाली में मुँह काला- बुरे काम में पड़ने का नतीजा बदनामी

 कौआ चला हंस की चाल- घटिया आदमी/ अनाड़ी आदमी का बड़ों की नकल करके नुकसान उठाना

 खग जाने खग ही की भाषा- जो जिसके साथ रहता है वह उसके विचारों से ही परिचित रहता है 

 खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है - आदमी को देखकर आदमी दंग सीखना है 

 खरी मजूरी चोखा काम- मजदूरी अच्छी तो काम भी अच्छा

 खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे - गुस्से वाला व्यक्ति दूसरों पर अपना गुस्सा निकालता है

 खेत खाए गदहा मार खाय जोलहा - अपराध किसी का दंड किसी को 

 खोटा सिक्का भी बुरे वक्त पर काम आता है- विपत्ति के समय निकम्मी चीज भी काम कर जाती है

 खोदा पहाड़ निकली चुहिया- परिश्रम बहुत अधिक फल बहुत थोड़ा 

 गुड़ खाए, गुलगुले से परहेज - दिखावटी परहेज 

 गुरु गुड चेला चीनी - चेले की योग्यता गुरु से बढ़ जाना

 गोद में बच्चा नगर में ढिंढोरा- पास की वस्तु की तलाश इधर-उधर

 घर का जोगी जोगड़ा आन गाँव का सिद्ध - कोई व्यक्ति चाहे कितना ही गुणवान क्यों ना हो अपने लोगों के बीच मान नहीं पता

 घर का भेदी लंका ढाये - घर के छिपे हुए भेद जाने वाला बहुत बर्बादी लाया करता है

 घर की मुर्गी दाल बराबर- घर की चीज को महत्व नहीं 

 चट मंगनी पट ब्याह - किसी काम का जल्दी संपन्न होना

 चमड़ी जाए तो जाए दमड़ी ना जाए- सट्टा सजा मिले तो मिले मगर दौलत हाथ से न जाए 

 चलती का नाम गाड़ी- जब तक आदमी के हाथ-पांव चलते हैं तब तक काम होते रहते हैं 

 कम प्यार होता है चाम नहीं - काम करने वालों की कद्र होती है सूरत की नहीं

 चार दिनों की चांदनी फिर अँधेरी  रात- थोड़े दिनों की शानो शौकत 

 चिराग तले अँधेरा - गुणी के घर अगुणी 

 चोर का भाई जेबकतरा - ऐसा दुराचारी व्यक्ति जो किसी दोषी का पक्ष ले और उसे निर्दोष बताए 

 चोर की दाढ़ी में तिनका- अपराधी हमेशा सशंकित रहता है 

 चोर चोर मौसेरे भाई - एक ही पेशेवाले आदमी 

 चोर चोरी से जाए तुंबा फेरी से नहीं- आदत छोड़ देने पर भी कुछ ना कुछ प्रभाव शेष रह ही जाता है 

 छुछूंदर के सिर पर चमेली का तेल- को पत्र को उत्तम वस्तु मिलना 

 जल में रहकर मगर से बैर - साथ रहना हो तो बड़ों से मिलकर रहो

 पेड़ में बगान तहाँ रेड प्रधान - मूर्खों के बीच थोड़ा पढ़ा लिखा आदर पाता है 

 जल्दी काम शैतान का- जल्दबाजी में काम बिगड़ जाता है

 जाको  राखे साईंयाँ मारी सकै न कोय - जिसकी रक्षा भगवान करे उसे कोई मार नहीं सकता 

जान बची लाखों पाय -  शुक्र है की जान बच गई

जान हैँ तो जहान हैँ - प्राण रक्षा प्रथम कर्तव्य है 

जितना ही गुड़ डालो, उतना ही मीठा- जितना धन खर्च करोगे उतनी ही अच्छी चीज मिलेगी  

तेते पाँव पसारिए, जेती लंबी सौर - अपनी औकात देखकर ही खर्च करो

जितने मुँह, उतनी ही बातें - अपनी अपनी समझ से हर कोई कुछ ना कुछ कह जाता है 

जिसका खाए उसका गाए - उपकारी के प्रति कृतज्ञ होना 

जिसकी बनरी वही नचावे - जिसका जो काम है वही उसे ठीक से कर सकता है

जिसकी लाठी उसकी भैंस - जोर वाले का ही सब कुछ 

जिसके पाँव न फटी बिवाई, वह क्या जान पीर पराई - जिनको खुद तकलीफ नहीं हुई वह दूसरे की तकलीफ क्या समझेगा?

जिसे पिया चाहे वही सुहागन - जिसको मलिक चाहे वह बुरा भी अच्छा 

जैसा देश, वैसा भेस- जहां रहे वहीं के नियमानुसार 

जैसी करनी, वैसी भरनी - अपने किए का फल पाना 

जो गरजे सो बरसे नहीं- बहुत बातें बनाने वाला काम के लायक नहीं होता 

जो जागे सो पावे, जो सोवे सो खावे-  होशियार ही फायदा लेता है

जो बोवोगे सो काटोगे - नेकी का फल नेक और बदी का बुरा

झूठे का मुँह काला, सच्चे का बोलबाला - अंततः सत्य की ही जीत होती है

रहे झोपड़ी में, ख्वाब देखे महलों का - औकात बढ़कर सपने देखना

ठंडा लोहा गरम लोहे को काटता हैँ - क्रोधी को नम्र शांत कर देता है

डायन भी दस घर बख्स देती हैँ - अन्यायी भी पड़ोसी से हिल - मिलकर रहता है

ढाक के तीन पात - परिणाम कुछ भी नहीं  

ढ़ोल के अंदर पोल - दिखावा कुछ और गुण कुछ नहीं 

तन सुखी तो मन सुखी - तंदुरुस्ती में ही स्वच्छ मन 

तलवार का घाव भर जाता है, बात का नहीं भरता - कटु वचन बराबर याद रहते हैं 

ताने घर के बाने घाट - संपन्न स्थिति 

तू डाल -डाल, मैं पात-पात - तुम चालाक तो मैं भी चालाक

थोथा चना बाजे घना - मूर्ख व्यक्ति शेखी बघारता है 

काठ की हाँड़ी गई, कुत्ते की जात पहचानी गई - नुकसान तो हुआ पर नीच व्यक्ति की असलियत तो पहचानी गई 

दाना न घास, घोड़े तेरी आस - देना ना लेना मुफ्त में काम लेने के इरादे

दीवार के भी कान होते हैँ - सावधानी से गुप्त बातें करें कोई सुन ना ले 

दौलत चलती-फिरती छाँव है- दौलत अस्थिर रहती है 

धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का - कहीं ठौर ठिकाना नहीं

नया नौ दिन, पुराना सौ दिन - नई चीज बहुत दिन नहीं चलती

नाई की बारात में सभी ठाकुर- ही- ठाकुर - सभी खाने वाले ही काम करने वाला कोई नहीं

नाच न जाने आँगन टेढ़ा - काम न आने पर बहन ढूंढना 

नाचने लगे तो घूँघट कैसा - जब कोई काम करना ही है तो बुराई पर विचार कैसा?

नाम मेरा गाँव तेरा - कोई कमाए,कोई खाए 

नेकी और पूछ -पूछ - भलाई करने के लिए किसी से क्या पूछना

नौकरी रेड़ (अरंड ) की जड है- नौकरी की नींद कच्ची होती है

नौकरी खाला जी का घर नहीं - नौकरी करना आसान काम नहीं

नौ नकद न तेरह उधार - अधिक उधर से कम नकद ही अच्छे 

नौ सौ चूहे खाके बिल्ली चली हज को - सारी उम्र पाप करके अंत में नेक बनना 

बाप मरा अँधरिया में, बेटे का नाम पावर हाउस -बाप से बेटे की अधिक ठाट बात होना 

मुँह में राम बगल में छुरी - मीठी मीठी बातें करके परोक्ष में हानि पहुंचाना 

मन चंगा तो कठौती में गंगा - हृदय पवित्र रहने पर घर ही मंदिर 

गए थे रोजा छुड़ाने नमाज गले पड़ी - सुख के बदले दु:ख 

छोटा मुँह बड़ी बात - बढ़-चढ़कर बातें करना

आँख का अंधा, नाम नयनसुख - गुण के प्रतिकूल प्रसिद्ध 

आगे नाथ न पीछे पगहा - बेलौस व्यक्ति 

अधज़ल गगरी हलकत जाए- ओछे व्यक्ति में ऐंठन होती है 




















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