इस पोस्ट में हम देखेंगे निचे दिए गए विषय पर छोटे -छोटे निबंध
1) मेरी माँ
2) मेरा मित्र
3) मेरी पाठशाला
4) मेरा घर
5) इंदिरा गांधी
6) महात्मा गांधी
7) मेरा प्यारा खेल
8) फूलों का बगीचा
मेरी माँ
जब किसी ने मुझसे सवाल किया कि आपको माँ पसंद है या पिताजी, तब मैं उनसे बगैर सोचे ऊँचे आवाज में जवाब दूँगा कि , मुझे मेरी माँ ज्यादा पसंद है क्योंकि खून का दूध करके पिलाने वाली माँ मेरी सर्वस्व हैं ।
मेरी माँ जैसी और कोई नहीं ऐसा मुझे लगता हैं। मेरी माँ हर सुबह जल्दी उठती है । सुबह से लेकर शाम तक वो हमेशा घरका काम करती है। उन्हें कभी काम की थकावट नहीं होती ।समय निकाल कर वह हमें पढ़ाती है। माँ का बोलना हँसना मुझे प्यारा लगता है।
कभी-कभी हमारी मनपसंद चीजे बनाकर देती है । हम बच्चे अच्छे और अभ्यासू होने के लिए वह हमेशा श्रम करती है । हम जब बीमार हो जाते तो वह सोती भी नहीं ।
हमारा घर माँ की वजह से स्वच्छ और सुंदर लगता है ।माँ पास नहीं होती तो मेरा जी नहीं लगता। माँ दूर गाँव चली जाने के बाद मुझे उनकी बार-बार याद आती है ।
मेरा मित्र
मेरा मित्र गणेश मुझे बहुत प्यारा लगता है। मैं और गणेश पाठशाला एक साथ मिलकर जाते है । पढाई भी हम दोनों मिलकर करते है । हम कभी झगड़े नहीं करते है। हम हर रोज शाम को खेलते है ।कभी कभी घुमने के लिए जाते है । गर्मी की छुट्टियों में हम तैरने को भी जाते है। कक्षा में पढाई, खेल इसमे हमारी स्पर्धा होती है। खेल में कभी मैं पहला तो कभी गणेश पहला रहता है ।
छुट्टी के दिन दोनों खेत में जाते है। वहाँ भोजन करते है । मेरी और गणेश की दोस्ती के बारे में गुरूजी कुतूहल प्रदर्शित करते है । मेरी माँ तो कहती है कि गणेश जैसा मित्र सभी को मिलना चाहिए ।
ऐसा मेरा मित्र है ।
मेरी पाठशाला
मेरी पाठशाला मुझे बहुत प्यारी लगती है। गाँव से जरा दूर और ऊँची जगह पर मेरी पाठशाला है । पाठशाला के आसपास ऊँचे और अच्छे पेड़ है। पाठशाला के नजदिक खेल का मैदान है । हम वहाँ कई प्रकार के खेल खेलते है ।
हमारे शिक्षक अच्छे पढ़ाते है । पाठशालामें हम मराठी,हिंदी, अंग्रेजी ,विज्ञान ,इतिहास , भूगोल और गणित पढ़ते है । रेडिओ-आकाशवाणी पर लगनेवाली कविताएँ और पाठ हम ध्यान से सुनते है । मेरी पाठशाला में टी.व्ही.भी लगाया है । उसीसे हम बहुत कुछ सीख लेते है । पाठशाला के आगे पीछे अच्छा और सुंदर बगीचा है । बगीचे में अच्छे और शोभादायक फूलों के पौधे लगाये है । हम उन्हें पानी डालते है और उसकी देखभाल और साफ़ सफाई भी करते है ।
ऐसी मेरी पाठशाला है ।
मेरा घर
यह मेरा घर है । मेरे घर में मैं और मेरी माताजी और पिताजी , मेरी बहन आदि रहते है । घर के तीन कमरे है। घर को दरवाजे और खिड़कियाँ है। घर का दरवाजा पूरब को है । मेरे घर में खुली हवा और सूर्यप्रकाश आता है। घर के सामने मैंने एक बगीचा बनाया है । उसमे गुलाब, जाई-जुई,.शेवंती, चमेली आदि फुलझाड़ियाँ लगा दी है । निलगिरी, आम, बेर, जामुन केभी पेड़ लगाये है । मेरी माँ दिनभर काम करती है । मेरी बहन माँ को काम में हाथ बँटाती है । पिताजी दिनभर खेत में काम करते है। छुट्टी के दिन मैं , माँ ,पिताजी को काम करने में मदद करता हूँ ।
शाम को हम मिलजुलकर खाना खाते है । माँ , पिताजी और बहन के साथ दिन ख़ुशी से गुजरता है ।
मेरा घर मुझे बहुत प्यारा लगता है ।
मैं कई भी दूर गाँव गया तो मुझे हमेशा घर की याद आती है । इतना मुझे मेरा घर प्यारा है ।
इंदिरा गांधी
इंदिरा गांधी भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री थी । उनका जन्म अलाहाबाद के आनंदभुवन में उनके घर में हुआ । उनका बचपन वही गुजरा । इंदिराजी के पिता भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की एकलौती लाडली बेटी थी।
इंदिराजी के दादाजी मोतीलाल नेहरू थे । दादाजी उनको बहुत प्यार करते थे । इंदिराजी को देशभक्त घराने का बड़ा वारसा मिला था । उनकी पढ़ाई अलाहाबाद ,दिल्ली , पुना और अमेरिका में हुई। उम्र के चौथे साल में ही उनको देश के थोर विद्वान देशभक्तों का सहवास प्राप्त हुआ। इसी कारण अपने देश को मजबूत और मुत्सद्दी प्रधानमंत्री का लाभ हुआ। उसी समय में ही देश की सभी तरह की प्रगति हुई । जागतिक शांतता के लिए अनेक देशों को उन्होंने संघठित किया। देश की एकात्मिकता के लिए उन्होंने जान की आहुति दी । इंदिराजी की यादें भारत देश तथा दुनिया कभी नही भूलेंगी ।
महात्मा गांधी
महात्मा गांधी का नाम मोहनदास करमचंद गांधी था । उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 में गुजरात के पोरबंदर गाँव में हुआ। उनके पिताजी राजकोट में दिवान थे। उनकी माँ ने उन्हें बचपन में 'ही सत्य और अहिंसा' की शिक्षा दी।
रामायण , महाभारत को पढ़ने के लिए उन्होंने कहा था। विद्यार्थी उम्र में कई बुरे साथियों के साथ गांधीजी ने कुछ गलतियाँ की थी । उन्होंने अपनी गलतियाँ अपने पिताजी के पास जाकर कबूल की और माफ़ी माँगी। बाद में उनका अच्छा बर्ताव रहा । गांधी इंग्लैंड जाकर बॅरिस्टर हुए । आफ्रिका में वकिली की। हिन्दू लोगों के प्रश्न उन्होंने प्रस्थापित किए । 'न्याय और स्वातंत्र्यता' के लिए उन्होंने देश में सत्याग्रह किया और उनकी वजह से 15 अगस्त 1947 को देश स्वतंत्र हुआ।
गांधीजी ने सत्य ,अहिंसा , सूतकताई ,स्वदेशी की वस्तुओं का स्वीकार इन शिक्षा भारतवासियों को दी। गांधी सभी धर्म का आदर करते थे । उन्होंने हरिजनों के लिए कार्य किया। उनका रहन सहन साधा था ।
सारा विश्व गांधीजी को महात्मा के रूप में पहचानता है। वे अपने राष्ट्रपिता थे। उन्हें बापू के नाम से ही याद किया जाता है।
मेरा प्यारा खेल
मैं बहुत खेल खेलता हूँ । खो-खो ,लंगड़ी ,कबड्डी ,दौड़ना , तैरना , कभी कभी क्रिकेट भी खेलता हूँ । मुझे कबड्डी यह खेल बहुत प्यारा लगता है। खिलाडियों के दो गट होते है । बहुत होशियारी से एक-दुसरे पर चाल करना और गुण मिलाना होता है। कबड्डी-कबड्डी कहकर चपल गति से खेलना पड़ता है। खिलाडी अच्छे रहने के बाद देखने वालों को खेल का मजा आता है। दिए गए समय में अधिक गुण लेने वाला संघ विजयी ठहराया जाता है ।
कबड्डी खेलने से सारे शरीर का व्यायाम होता है। शरीर की चपलता, सावधानी और होशियारी आती है। सभी लडके लड़कियों को ये खेल खेलना चाहिए ।
फूलों का बगीचा
हमारे घर के आंगन में मैंने एक फुल बाग बनाया है। बाग़ में विविध तरह के फुल है। बाग़ में विविध फुलझाड़ियाँ लगा दी है। गुलाब , शेवंती,मोगरा,जाई-जुई गेंद , झेनिया , डेलिया अदि फुलझाड़ियाँ है। कुछ पौधों के पत्ते रंगीन होने से बाग़ की शोभा बढ़ा देते है। ककड़ी , कद्दू , करेला , पड्वल , घोसले ,तोंडले आदि के भी बेली है । बैंगन ,टमाटर भिन्डी ,मिर्च आदि भी है। मेथी ,धनिया ,चूका ,शेपू ,पालक , मैंने आलट-पालटकर लगाए है। हमें फुल-सब्जियाँ खरीदने की जरुरत नहीं होती । बाग़ होने से अनेक पंछी, भ्रमर, तितलियाँ हमारे घर में आते है। बाग़ होने से घर की शोभा बढ़ जाती है। मेरा खाली समय बाग़ मेही गुजर जाता है। बाग़ के फल-फुल देखने में ही मुझे आनंद होता है ।
बाग का काम एक अच्छा और फायदेमंद छंद है।
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